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किसानों के लिए एक मोटर में दो मशीन चलाने का जुगाड़

किसान बचत कैसे करें  भारत में किसान के लिए बचत ही उसका मुनाफा है। क्योंकि बाजार उसके अनुकूल नहीं है। जो भी किसान फसल उगाता है, वो पशुपालन भी करता है। इस प्रकार किसान पशुपालन के द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित करता है। ये अतिरिक्त आय ही उसकी बचत होती है। किसान अपने छोटे छोटे खोजी तरीकों से बचत के तरिके ढूंढता रहता है। आज हम यहाँ ऐसे ही एक तरीके की बात कर रहे है। जी हाँ किसान की बचत का एक तरीका जिसे अपनाकर किसान अपनी बचत व श्रम का बेहतर तरीके से उपयोग का सकता है। हम बात करेंगे चारा काटने वाली मशीन की। हर किसान पशुपालन करता है। पशुओं की देखरेख में उसका बहुत सा समय जाया होता है। अगर ऐसे तरीके अपनाकर वह कार्य करे तो उसके धन व समय की बचत होगी। आज हम इस वीडियो में हरा चारा काटने वाली मशीन के प्रयोग की बात करेंगे।  एक मोटर से दो मशीन कैसे चलाएं  जैसा की वीडियो में दिखाया गया है, सबसे पहले आप बाजार से 5 X 3 फ़ीट के दो पत्थर लेकर आएं। फिर चारा काटने वाली मशीन के पैरों के नाप से उस पर चार छेद करके नट व बोल्ट की सहायता से मशीन को अच्छे से उस पत्थर पर फिक्स कर लें। फिर बची हुयी जगह पर मोटर को ए

शेखावाटी -- प्राचीन हवेलियों के शहरों में

अपना जयपुर (frompinkcity.blogspot.com) आपको आमन्त्रित करता है

शेखावाटी -- प्राचीन हवेलियों के शहरों में
राजस्थान के उत्तर पूर्वी रेगिस्थान में स्थित शेखावाटी, भारतीयों के लिए बहुमूल्य एतिहासिक स्थल है। महाकाव्य महाभारत में इस स्थान से संबंधित कई संदर्भ मौजूद है, कहा जाता है कि हिन्दुओं के पवित्र वेद ग्रन्थ यहाँ लिखे गए थे। शेखावाटी का नाम शेखावाटी राजपूतों के नाम पर रखा गया जो इस प्रदेश के प्रमुख शासनकार थे।
शेखावाटी के पर्यटक स्थल।
अपनी चित्रित हवेलियों, महलों और अन्य कई एतिहासिक धरोंहरों के लिए प्रसिद्ध शेखावाटी को "ऑपन आर्ट गैलरी ऑफ़ राजस्थान" के नाम से भी जाना जाता है। नदीने प्रिंस हवेली, मोरारका हवेली म्यूजियम, पाटोदिया हवेली, जैपुरिया हवेली, डॉ.रामनाथ.ए.पोद्दार हवेली म्यूजियम, जगन्नाथ सिंघानिया हवेली और खेत्री महल यहाँ के प्रमुख आकर्षक स्थल है।
1802 में बनाई नदीने प्रिंस हवेली के नये मालिक एक फ्रांसिसी कलाकार ने इसे आर्ट गैलरी और सांस्कृतिक केंद्र में परिवर्तित कर दिया है। डॉ.रामनाथ.ए.पोद्दार हवेली म्यूजियम में राजस्थानी संस्कृती को दर्शाते कई चित्र मौजूद है। मोरारका हवेली म्यूजियम लग भग 250 साल पुराना किला है, जब की खेत्री महल 1770 में बनी बहुमूल्य एतिहासिक धरोहर है, हम यहाँ प्राचीन वास्तुकला देख सकते हैं।
नवलगढ़ का कचियागढ़, मंडावा, मुकुंदगढ़ और डूंडलोद के किले शेखावाटी के प्रमुख किलों में से है। पर आज मंडावा का किला हेरिटेज होटल बन गया है, जब कि डूंडलोद किला यूरोपियन चित्रों के बहुत बड़े संग्रहालय के रूप में परिवर्तित हो गया है। मुकुंदगढ़ किला 8000 वर्ग मीटर में फैला है और इसके विशाल बरामदे, आंगन और बारजे देखने लायक है।

इनके अलावा यहाँ पर बनी कई मस्जिदे और हिरन अभयारण्य देखने योग्य स्थान है। पर्यटकों को ऊँट पर सवार होकर पूरे रेगिस्थान की सैर करने में बड़ा मज़ा आता है। यहाँ के कई महल आज हेरिटेज होटल में तब्दील हो गए हैं, यहाँ सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव प्राप्त होता है।
उत्सव और आनंद
शेखावाटी महोत्सव
मुख्यमंत्री स्व श्री भैरों सिंह शेखावत के शाशन काल में तथा नवलगढ़ के बिज़नस मैन श्री कमल मुरारका के सौजन्य से शुरू हुए इस महोत्सव की रौनक देखते ही बनती है। वर्तमान विधायक श्री राजकुमार शर्मा ने इस महोत्सव को नए आयाम दिए हैं। नवलगढ़ के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए यहाँ की जनता सदैव स्मरण करेगी।
फ़रवरी के महीने में यहाँ सालाना शेखावाटी उत्सव का आयोजन होता है, इस उत्सव में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं, जिसे देखने यहाँ बहुत संख्या में भीड़ उमड़ती है। इस उत्सव का आयोजन राज्य पर्यटक विभाग और सीकर, चुरू और झुंझुनू के जिला प्रशाशन मिलकर करते हैं। यह मेला इस प्रांत की ग्रामीण जीवन शैली को दर्शाता है, और इस मेले में पर्यटकों को ऊँट और जीप की सफारी में बड़ा मज़ा आता है।
शेखावाटी के 4 शहर नवलगढ़, झुंझुनू, सीकर और चुरू में आयोजित इस मेले में कई कार्यक्रम पेश किये जाते हैं जैसे ग्रामीण खेल, हवेली प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आतिशबाजी इस मेले का प्रमुख आकर्षण है। शेखावाटी के इस मेले को देखने के लिए आप जयपुर से रोड मार्ग या रेल मार्ग (फिल हाल ये मार्ग आमान परिवर्तन के कारण बन्द है) द्वारा पहुँच सकते हैं, जो केवल 150 कि.मी दूर है। नवलगढ़, शेखावाटी उत्सव का प्रमुख समारोह स्थल है।
कब जाये शेखावाटी ?
शेखावाटी जाने का सबसे बढ़िया समय नवम्बर और फ़रवरी के बीच है, क्यूंकि तब यहाँ सर्दियों का मौसम होता है। गर्मियों में यहाँ का तापमान 43 डिग्री हो जाता है, और भीषण गर्मी के कारण यह बिलकुल उत्तम समय नहीं है।
शेखावाटी पहुँचने के साधन
जयपुर और बीकानेर के रोड मार्ग से शेखावाटी बहुत आराम से पहुंचा जा सकता है। आप चाहे तो स्थानीय रेलगाड़ियों के माध्यम से भी शेखावाटी जा सकते हैं।फिल हाल ये मार्ग आमान परिवर्तन के कारण बन्द है। शेखावाटी में ज्यादातर राजस्थानी और मारवाड़ी लोग रहते हैं, और यहाँ की स्थानीय भाषा राजस्थानी है।




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