लेख पूरा पढ़े ..
प्रश्न :- मैं एक पढ़ा लिखा मुस्लिम हूँ l मेरी अपनी खुद की एक राजनीतिक सोच है और यदि मैं मोदी का विरोध करता हूँ तो मैं देशद्रोही कैसे हो गया ?
उत्तर :- मोदी जी ने अपनी शख्शियत ऐसी बनाई है की वो देशभक्ति का पर्यायवाची शब्द बन गये है l और जब कोई उनके विरोध में खड़ा होता है तो वो स्वतः अपने आप को देशद्रोहीयों की कतार खड़ा पाता है l
ऐसी परिस्थिति में वो और भी ज्यादा खिजकर मोदी विरोध करता है और मोदी विरोध करते करते देशविरोध की सीमा भी लांघ जाता है l
प्रश्न :- मोदी जी देशभक्ति का पर्याय कैसे है ?
उत्तर :- मोदी जी का आज तक का राजनीतिक जीवन निष्कलंक रहा है l
उन्होने हमेशा अपने राज्य और देश की भलाई के लिये काम किया है l
मोदी जी ने कोई भ्रष्टाचार नही किया
मोदी जी के पास अपनी कोई सम्पत्ति नही है l
मोदी जी का अपना खुद का कोई परिवार नही है l
मोदी जी के भाई बहन अत्यंत साधारण जीवन यापन करते है l
प्रश्न :- निष्कलंक !!!...लेकिन मोदी ने गुजरात में मुस्लिमों का कत्लेआम कराया था l वो ?
उत्तर :- दंगे हमेशा दुर्भाग्यपूर्ण होते है l और ये पहला या अंतिम दंगा नही था l इससे पहले भी महात्मा गाँधी की हत्या के बाद उनके अहिंसा और शान्ती के समर्थको ने 6000 मराठी ब्राह्मणों का महाराष्ट्र में कत्लेआम किया था l इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद भी हजारों सिखों का संहार किया गया था l कश्मीर में दस सालों तक कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार करके उनको बेघर किया गया लेकिन मुस्लिमों की तरह कोई छाती नही पीटता l उत्तर प्रदेश में आये दिन कहीँ न कहीँ दंगा होता ही रहता है लेकिन मोदी जी ने जिस तरह से गुजरात में दंगा कंट्रोल किया उसके बाद कोई दंगा नहीँ हुआ l
प्रश :- लेकिन मोदी की विचारधारा rss वाली है उसे मैं क्यों स्वीकार करूँ ?
उत्तर :- पिछले 60 साल से राष्ट्रवादी लोग भी कॉंग्रेस की गली सड़ी झूठी विचारधारा को न चाहते हुए भी स्वीकार करते रहे है l और मोदी जी कोई डेमोक्रेसी को hijack करके तो P M बने नहीँ है l अब ये बदलाव स्वीकार करना ही होगा l और rss अन्य मुस्लिम तंजीमों की तरह कोई आतंकवादी संगठन तो है नहीँ और न ही कोई banned organisation है l
प्रश्न :- फ़िर हिंदू उनका विरोध क्यों करते है ?
उत्तर :- अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते या अपने कमअकल होने की वजह से l
प्रश :- ये कौन सी बात हुई की मोदी के विरोध में है तो वो कमअकल या गद्दार है ?
उत्तर :- जो हिंदू, मोदी rss का विरोध करते है वो कमअकल होने की वज़ह से इतिहास का सही अध्ययन नहीँ कर पाये और वर्तमान का सही विश्लेषण नहीँ कर पाते l
वो मंदबुद्धि होने के कारण नहीँ समझ पाते की राष्ट्रवाद क्यो ज़रूरी है
प्रश्न :- लेकिन ये राष्ट्र अकेले हिन्दुओं का नहीँ है हमारा भी है l
उत्तर :- नहीँ इस्लाम भारत का मूल धर्म नहीँ है l यह आयातित धर्म है l
प्रश्न :- लेकिन हम तो भारतीय मुसलमान है
उत्तर :- नहीँ आप लोगों को आइडेंटिटी crisis है l
प्रश्न :- अब ये identity क्राइसिस क्या है ?
उत्तर :- आइडेंटिटी क्राइसिस या दूसरे शब्दों मे परिचय अज्ञानता या परिचय संकट है l
और किस तरह ये परिचय अज्ञानता कुंठा का रुप धारण करके देश और समाज को एक लम्बे समय से सिर्फ और सिर्फ नुकसान पहुँचाती रही है
इसको थोड़ा विस्तार से समझते है
बाहर से असभ्य दुर्दांत मुस्लिम आक्रांता किस तरह से भारत मे आये और यहाँ की संस्कृति को नष्ट किया ये एक विषय है दूसरा विषय है आज मौजूद उनके पैरोकारों का, जो जूठी आइडेंटिटी के साथ जी रहे है,
उनके पूर्वजों का सच जो वो हमेशा नकारते है l
आज मौजूद 20-25 करोड़ मुस्लिम वही है जिनके पूर्वजों को बलात तलवार की नोक पर मुस्लिम बनाया गया या
ज़मीन और जागीरदारी का लालच देकर उनको मुस्लिम बनाया गया या वो मुस्लिम बने जिनको तथाकथित तौर अपने हिंदू समाज में नीचा स्थान प्राप्त था या
वो मुस्लिम बने जिन्होने अपने परिवार और समाज को अपने कृत्यों से नीचा दिखाया और उनका सामाजिक व पारिवारिक बहिष्कार किया गया l
लेकिन अब मसला ये है की क्या आप इन सत्यों को आत्मसात करते है l
प्रश्न :- ये क्या बकवास है ?
उत्तर :- क्यों क्या ये सच नहीँ की महमूद गज़नवी गौरी तैमूर ...और न जाने कितने लुटेरे थे और वो सब इस्लाम को मानते थे l
प्रश्न :- तो अँगरेज़ भी तो इंडिया को लूटने आये थे l
उत्तर :- बिल्कुल, इसीलिए उनको हमने भगाया ना वापस
प्रश्न :- आपने नहीँ महात्मा गाँधी ने भगाया
उत्तर :- exactly, जब अँगरेज़ और मुस्लिम दोनो ही लुटेरे थे और दोनो ही बाहर से आये थे तो गाँधी जी सिर्फ अंग्रेजों से ही क्यों लड़े l और न केवल अंग्रेजों से लड़े बल्कि हमेशा हिंदू मुसलमानो में मुसलमानो का पक्ष लेते रहे इसीलिए पंडित नाथूराम गोडसे ने उनका वध किया था
और इस विषय में एक पुस्तक भी है "गाँधी वध क्यों "
*गांधी वध क्यों* एक ऐसी पुस्तक है जिससे डरकर कांग्रेस ने इस पर *प्रतिबंध* लगा दिया था
गाँधी वध क्यों ?
क्या थी विभाजन की पीड़ा ?
विभाजन के समय हुआ क्या क्या ?
विभाजन के लिए क्या था विभिन्न राजनैतिक पार्टियों दृष्टिकोण ?
क्या थी पीड़ा पाकिस्तान से आये हिन्दू शरणार्थियों की ... मदन लाल पाहवा और विष्णु करकरे की?
क्या थी गोडसे की विवशता ?
क्या गोडसे नही जानते थे की आम आदमी को मरने में और एक राष्ट्रपिता को मरने में क्या अंतर है ?
क्या होगा परिवार का ?
कैसे कैसे कष्ट सहने पड़ेंगे परिवार और सम्बन्धियों को और मित्रों को ?
क्या था गांधी वध का वास्तविक कारण ?
क्या हुआ 30 जनवरी की रात्री को ... पुणे के ब्राह्मणों के साथ ?
क्या था सावरकर और हिन्दू महासभा का चिन्तन ?
क्या हुआ गोडसे के बाद नारायण राव आप्टे का .. कैसी नृशंस फांसी दी गयी उन्हें l
यह लेख पढने के बाद कृपया बताएं कैसे उतारेगा भारतीय जनमानस पंडित नाथूराम गोडसे जी का कर्ज....
आइये इन सब सवालों के उत्तर खोजें ....
पाकिस्तान से दिल्ली की तरफ जो रेलगाड़िया आ रही थी, उनमे हिन्दू इस प्रकार बैठे थे जैसे माल की बोरिया एक के ऊपर एक रची जाती हैं.अन्दर ज्यादातर मरे हुए ही थे, गला कटे हुए lरेलगाड़ी के छप्पर पर बहुत से लोग बैठे हुए थे, डिब्बों के अन्दर सिर्फ सांस लेने भर की जगह बाकी थी l बैलगाड़िया ट्रक्स हिन्दुओं से भरे हुए थे, रेलगाड़ियों पर लिखा हुआ था,," आज़ादी का तोहफा " रेलगाड़ी में जो लाशें भरी हुई
थी उनकी हालत कुछ ऐसी थी की उनको उठाना मुश्किल था, दिल्ली पुलिस को फावड़ें में उन लाशों को भरकर उठाना पड़ा l ट्रक में भरकर किसी निर्जन स्थान पर ले जाकर, उन पर पेट्रोल के फवारे मारकर उन लाशों को जलाना पड़ा इतनी विकट हालत थी उन मृतदेहों की... भयानक बदबू......
सियालकोट से खबरे आ रही थी की वहां से हिन्दुओं को निकाला जा रहा हैं, उनके घर, उनकी खेती, पैसा-अडका, सोना-चाँदी, बर्तन सब मुसलमानों ने अपने कब्जे में ले लिए थे l मुस्लिम लीग ने सिवाय कपड़ों के कुछ भी ले जाने पर रोक लगा दी थी. किसी भी गाडी पर हल्ला करके हाथ को लगे उतनी महिलाओं- बच्चियों को भगाया गया.बलात्कार किये बिना एक भी हिन्दू स्त्री वहां से वापस नहीं आ सकती थी ... बलात्कार किये बिना.....?
जो स्त्रियाँ वहां से जिन्दा वापस आई वो अपनी वैद्यकीय जांच करवाने से डर रही थी....
डॉक्टर ने पूछा क्यों ???
उन महिलाओं ने जवाब दिया... हम आपको क्या बताये हमें क्या हुआ हैं ?
हमपर कितने लोगों ने बलात्कार किये हैं हमें भी पता नहीं हैं...उनके सारे शारीर पर चाकुओं के घाव थे.
"आज़ादी का तोहफा"
जिन स्थानों से लोगों ने जाने से मना कर दिया, उन स्थानों पर हिन्दू स्त्रियों की नग्न यात्राएं (धिंड) निकाली गयीं, बाज़ार सजाकर उनकी बोलियाँ लगायी गयीं और उनको दासियों की तरह खरीदा बेचा गया l
1947 के बाद दिल्ली में 400000 हिन्दू निर्वासित आये, और इन हिन्दुओं को जिस हाल में यहाँ आना पड़ा था, उसके बावजूद पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने ही चाहिए ऐसा महात्मा जी का आग्रह था...क्योकि एक तिहाई भारत के तुकडे हुए हैं तो भारत के खजाने का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान को मिलना चाहिए था l
विधि मंडल ने विरोध किया, पैसा नहीं देगे....और फिर बिरला भवन के पटांगन में महात्मा जी अनशन पर बैठ गए.....पैसे दो, नहीं तो मैं मर जाउगा....एक तरफ अपने मुहँ से ये कहने वाले महात्मा जी, की हिंसा उनको पसंद नहीं हैं l
दूसरी तरफ जो हिंसा कर रहे थे उनके लिए अनशन पर बैठ गए... क्या यह हिंसा नहीं थी .. अहिंसक आतंकवाद की आड़ में
दिल्ली में हिन्दू निर्वासितों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी, इससे ज्यादा बुरी बात ये थी की दिल्ली में खाली पड़ी मस्जिदों में हिन्दुओं ने शरण ली तब बिरला भवन से महात्मा जी ने भाषण में कहा की दिल्ली पुलिस को मेरा आदेश हैं मस्जिद जैसी चीजों पर हिन्दुओं का कोई
ताबा नहीं रहना चाहिए l निर्वासितों को बाहर निकालकर मस्जिदे खाली करे..क्योंकि महात्मा जी की दृष्टी में जान सिर्फ मुसलमानों में थी हिन्दुओं में नहीं...
जनवरी की कडकडाती ठंडी में हिन्दू महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों को हाथ पकड़कर पुलिस ने मस्जिद के बाहर निकाला, गटर के किनारे
रहो लेकिन छत के निचे नहीं l क्योकि... तुम हिन्दू हो....
4000000 हिन्दू भारत में आये थे,ये सोचकर की ये भारत हमारा हैं....ये सब निर्वासित गांधीजी से मिलाने बिरला भवन जाते थे तब
गांधीजी माइक पर से कहते थे क्यों आये यहाँ अपने घर जायदाद बेचकर, वहीँ पर अहिंसात्मक प्रतिकार करके क्यों नहीं रहे ??
यही अपराध हुआ तुमसे अभी भी वही वापस जाओ..और ये महात्मा किस आशा पर पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने निकले थे ?
कैसा होगा वो मोहनदास करमचन्द गाजी उर्फ़ गंधासुर ... कितना महान ...
जिसने बिना तलवार उठाये ... 35 लाख हिन्दुओं का नरसंहार करवाया
2 करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं का इस्लाम में धर्मांतरण हुआऔर उसके बाद यह संख्या 10 करोड़ भी पहुंची l
10 लाख से ज्यादा हिन्दू नारियों को खरीदा बेचा गया l
20 लाख से ज्यादा हिन्दू नारियों को जबरन मुस्लिम बना कर अपने घरों में रखा गया, तरह तरह की शारीरिक और मानसिक यातनाओं के बाद
ऐसे बहुत से प्रश्न, वास्तविकताएं और सत्य तथा तथ्य हैं जो की 1947 के समकालीन लोगों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों से छुपाये, हिन्दू कहते हैं की जो हो गया उसे भूल जाओ, नए कल की शुरुआत करो ...
परन्तु इस्लाम के लिए तो कोई कल नहीं .. कोई आज नहीं ...वहां तो दार-उल-हर्ब को दार-उल-इस्लाम में बदलने का ही लक्ष्य है पल.. प्रति पल
विभाजन के बाद एक और विभाजन का षड्यंत्र ...
=========================
आपने बहुत से देशों में से नए देशों का निर्माण देखा होगा, U S S R टूटने के बाद बहुत से नए देश बने, जैसे ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान आदि ... परन्तु यह सब देश जो बने वो एक परिभाषित अविभाजित सीमा के अंदर बने l
और जब भारत का विभाजन हुआ .. तो क्या कारण थे की पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान बनाए गए... क्यों नही एक ही पाकिस्तान बनाया गया... या तो पश्चिम में बना लेते या फिर पूर्व में l
परन्तु ऐसा नही हुआ .... यहाँ पर उल्लेखनीय है की मोहनदास करमचन्द ने तो यहाँ तक कहा था की पूरा पंजाब पाकिस्तान में जाना चाहिए, बहुत कम लोगों को ज्ञात है की 1947 के समय में पंजाब की सीमा दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र तक होती थी ...
यानी की पाकिस्तान का बोर्डर दिल्ली के साथ होना तय था ... मोहनदास करमचन्द के अनुसार l
नवम्बर 1968 में पंजाब में से दो नये राज्यों का उदय हुआ .. हिमाचल प्रदेश और हरियाणा l
पाकिस्तान जैसा मुस्लिम राष्ट्र पाने के बाद भी जिन्ना और मुस्लिम लीग चैन से नहीं बैठे ...
उन्होंने फिर से मांग की ... की हमको पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान जाने में बहुत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं l
1. पानी के रास्ते बहुत लम्बा सफर हो जाता है क्योंकि श्री लंका के रस्ते से घूम कर जाना पड़ता है l
2. और हवाई जहाज से यात्राएं करने में अभी पाकिस्तान के मुसलमान सक्षम नही हैं l इसलिए .... कुछ मांगें रखी गयीं 1. इसलिए हमको भारत के बीचो बीच एक Corridor बना कर दिया जाए....
2. जो लाहोर से ढाका तक जाता हो ... (NH - 1)
3. जो दिल्ली के पास से जाता हो ...
4. जिसकी चौड़ाई कम से कम 10 मील की हो ... (10 Miles = 16 KM)
5. इस पूरे Corridor में केवल मुस्लिम लोग ही रहेंगे l
30 जनवरी को गांधी वध यदि न होता, तो तत्कालीन परिस्थितियों में बच्चा बच्चा यह जानता था की यदि मोहनदास करमचन्द 3 फरवरी, 1948 को पाकिस्तान पहुँच गया तो इस मांग को भी ...मान लिया जाएगा
Great dear no body spear some quality time here. Thanks buddy plz share some things like this. God bless u.
ReplyDelete