Posts

Showing posts from January, 2017

Featured Post

किसानों के लिए एक मोटर में दो मशीन चलाने का जुगाड़

किसान बचत कैसे करें  भारत में किसान के लिए बचत ही उसका मुनाफा है। क्योंकि बाजार उसके अनुकूल नहीं है। जो भी किसान फसल उगाता है, वो पशुपालन भी करता है। इस प्रकार किसान पशुपालन के द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित करता है। ये अतिरिक्त आय ही उसकी बचत होती है। किसान अपने छोटे छोटे खोजी तरीकों से बचत के तरिके ढूंढता रहता है। आज हम यहाँ ऐसे ही एक तरीके की बात कर रहे है। जी हाँ किसान की बचत का एक तरीका जिसे अपनाकर किसान अपनी बचत व श्रम का बेहतर तरीके से उपयोग का सकता है। हम बात करेंगे चारा काटने वाली मशीन की। हर किसान पशुपालन करता है। पशुओं की देखरेख में उसका बहुत सा समय जाया होता है। अगर ऐसे तरीके अपनाकर वह कार्य करे तो उसके धन व समय की बचत होगी। आज हम इस वीडियो में हरा चारा काटने वाली मशीन के प्रयोग की बात करेंगे।  एक मोटर से दो मशीन कैसे चलाएं  जैसा की वीडियो में दिखाया गया है, सबसे पहले आप बाजार से 5 X 3 फ़ीट के दो पत्थर लेकर आएं। फिर चारा काटने वाली मशीन के पैरों के नाप से उस पर चार छेद करके नट व बोल्ट की सहायता से मशीन को अच्छे से उस पत्थर पर फिक्स कर लें। फिर बची हुयी जगह पर मोटर को ए

Rani Padmavati and Bhansali

Image
अभिवक्ति की स्वतंत्रता वही तक सिमित है जहाँ पर दूसरे की स्वतंत्रता शुरू हो जाती है।  रानी पद्मिनी को लेकर जो बवाल मचा है, उस के संदर्भ में यह लेख उद्रित है। अपने बहूत सारे लाभ के लिए फ़िल्मकार ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़खानी करते आये है। इसके पीछे बनने वाली फिल्म का प्री प्रचार है। रानी पद्मिनी के साथ समुदाय विशेष के साथ ऐतिहासिकता भी जुडी हुई है। कैसे तथ्यों को तोड़ कर कोई किसी की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर सकता है? अगर किसी फिल्म के प्रोड्यूसर, हीरो, या किसी भी तरह के व्यक्ति जो उस फिल्म से जुड़ा हुवा है, को इस तरह की अप्रिय घटना का सामना करना पड़ता है, तो इसके लिए वह स्वयं दोषी है। फिल्म से जुड़े हुए लोगो को रानी व उस समय के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए। अपने लाभ के लिए इतिहास के साथ छेड छाड़ नहीं करनी चाहिए। अपनी रचना से समाज को सन्देश दे रहे है, तो समाज के हर वर्ग व भावी पीढ़ी का ख्याल रखना चाहिए। रानी पद्मिनी की कहानी को पहले ही बहूत तोड़ मरोड़ कर, काल्पनिक रूप से लिखा गया है। लेकिन फ़िल्मकार जो बताना चाह रहा है, वह तो मुस्लिम इतिहासकारों ने भी नहीं लिखा। रानी पद्मिनी की कहानी इतिहासकारों

शेखावाटी-नवलगढ़

Image
शेखावाटी की झलक   नवलगढ़।   नवलगढ़ क़स्बा आज के बावड़ी गेट , नानसा गेट, अगुणा दरवाजा, मण्डी गेट इन चार दरवाजो के मध्य बसा हुवा था।  18 वी सदी में ठाकुर नवल सिंह ने इस कस्बे की स्थापना की थी। जो आज राजस्थान के शेखावाटी में स्थित है। नवल सिंह शेखावाटी के नवलगढ़ और मंडावा प्रांत के शासक थे। 1836 में बनी नवलगढ़ की हवेलियों पर चित्रकारी बहुत ही कुशलता पूर्वक की गई है। इसके अलावा 1920 में बनी पोद्दारो की हवेली और बाला किला, (जिसे स्थानीय लोग कचिया गढ़ भी कहते है, क्योंकि इस पर चारो तरफ कांच जड़ा हुवा था।) जिसकी दीवारों पर लोक कहानियां चित्रित है, सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती है। इसके अतिरिक्त जोधराज पाटोदिया हवेली, बंसीधर भगत हवेली, सेकसरिया हवेली, जैपुरिया हवेली, चोखानी हवेली, रूप निवास महल, गंगा मैया मंदिर, और ब्रिटिश क्लॉक टावर नवलगढ़ के अन्य आकर्षण है। नवलगढ़ के शासक की एक कहानी  राजस्थान के शेखावाटी अंचल के ठिकाने नवलगढ़, (झुंझनु जिले में) के शासक ठाकुर नवल सिंह शेखावत अपने खिराज मामले के साठ हजार रुपयों की बकाया पेटे बाईस हजार रूपये की हुण्डी लेकर दिल्ली जा रहे थे | उनका कारवां 

68 वें गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें !

Image
68 वें गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें ! दोस्तों आज हम 68 वां गणतंत्र दिवस मना   रहे हैं।   एक तरह से देखा जाये तो हमारा गणतंत्र वृद्धावस्था की और बढ़ रहा है। अगर पीछे मुड़कर देखें   तो ? क्या पाया?   ये एक ज्वलंत प्रश्न खड़ा दिखता है। अपने समाज में , सोसायटी में जो असन्तुलन की खाई है , वो बढती जा रही है।   तमाम कोशिशों के बावजूद हम आज भी देश से गरीबी को नहीं मिटा पाएं है। गरीबी तो दूर की बात है , हम मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं जूता पाएं है। गरीबी भारत में चारों तरफ फैली हुई   है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से , गरीबी का प्रसार चिंता का विषय है। ये 21 वीं शताब्दी है , और गरीबी आज भी लगातार बढ़ रही गंभीर खतरा है। 1.30  बिलियन जनसंख्या में से 29.7% से भी अधिक जनसंख्या आज भी गरीबी रेखा से नीचे है। ये ध्यान देने वाली बात है कि पिछले दशकों में गरीबी के स्तर में गिरावट हुई है लेकिन अमीरों और गरीबों के बीच की रेखा को पूरी तरह से धुंधला