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किसानों के लिए एक मोटर में दो मशीन चलाने का जुगाड़

किसान बचत कैसे करें  भारत में किसान के लिए बचत ही उसका मुनाफा है। क्योंकि बाजार उसके अनुकूल नहीं है। जो भी किसान फसल उगाता है, वो पशुपालन भी करता है। इस प्रकार किसान पशुपालन के द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित करता है। ये अतिरिक्त आय ही उसकी बचत होती है। किसान अपने छोटे छोटे खोजी तरीकों से बचत के तरिके ढूंढता रहता है। आज हम यहाँ ऐसे ही एक तरीके की बात कर रहे है। जी हाँ किसान की बचत का एक तरीका जिसे अपनाकर किसान अपनी बचत व श्रम का बेहतर तरीके से उपयोग का सकता है। हम बात करेंगे चारा काटने वाली मशीन की। हर किसान पशुपालन करता है। पशुओं की देखरेख में उसका बहुत सा समय जाया होता है। अगर ऐसे तरीके अपनाकर वह कार्य करे तो उसके धन व समय की बचत होगी। आज हम इस वीडियो में हरा चारा काटने वाली मशीन के प्रयोग की बात करेंगे।  एक मोटर से दो मशीन कैसे चलाएं  जैसा की वीडियो में दिखाया गया है, सबसे पहले आप बाजार से 5 X 3 फ़ीट के दो पत्थर लेकर आएं। फिर चारा काटने वाली मशीन के पैरों के नाप से उस पर चार छेद करके नट व बोल्ट की सहायता से मशीन को अच्छे से उस पत्थर पर फिक्स कर लें। फिर बची हुयी जगह पर मोटर को ए

देखो वीर जवानों....!

देखो वीर जवानों....!
कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियों.........!
आज हम साल के आखरी समय में खुशियां मना रहे हैं। हम में से कोई भी उन परिवारों को याद नहीं कर रहा, जिन परिवारों के लाडलों ने अपनी जान पर खेल कर इस देश की रक्षा की और अपनी जान की बाजी लगा कर चले गए। क्या उस माँ को याद नहीं है उस का बेटा , उस पिता की बूढी आँखे अपने बेटे की हम उमर नोजवानो को ताकती है, कि भूल से भी एक झलक अपने बेटे की सी दिख जाये। उस वीरांगना के मन में क्या है ? कोई नहीं जानता। वो बच्चे इन छुटियों में इंतजार कर रहे हैं,  पतंग और दूसरी खेलने की चीजों का।  लेकिन नहीं है , कोई नहीं है जो इस बार उनको ये सब दिला के लाएगा। क्या विडम्बना है एक सुहागन के  जीवन की उसने आखिरी समय में जी भर के देखा भी नहीं, और विधवा हो कर जीवन भर का दुःख ले लिया। कांपती भरभराती आवाज से बूढा पिता अपने बेटे के बच्चों को सम्हाल रहा है ताकि, बचे हुए जीवन में  इस परिवार के लिए कुछ कर सके। किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, इन शहीदों के परिवारों को ये सिर्फ इन परिवारों के नजदीक रहने वाला ही जान सकता है।  ये चित्र एक शहीद के अंतिम संस्कार के अंतिम समय का है, जब उस सैनिक की विधवा तिरंगे को सम्मान सहित सेना के जवानों के सुपर्द कर रही है।  पीछे बूढा पिता,  शहीद का बेटा व् उसकी माँ दिखाई दे रहे है। हदय को चीर देने वाला दृश्य है।  नमन ऐसे हजारों परिवारों को।

जय हिन्द ! 




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