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किसानों के लिए एक मोटर में दो मशीन चलाने का जुगाड़

किसान बचत कैसे करें  भारत में किसान के लिए बचत ही उसका मुनाफा है। क्योंकि बाजार उसके अनुकूल नहीं है। जो भी किसान फसल उगाता है, वो पशुपालन भी करता है। इस प्रकार किसान पशुपालन के द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित करता है। ये अतिरिक्त आय ही उसकी बचत होती है। किसान अपने छोटे छोटे खोजी तरीकों से बचत के तरिके ढूंढता रहता है। आज हम यहाँ ऐसे ही एक तरीके की बात कर रहे है। जी हाँ किसान की बचत का एक तरीका जिसे अपनाकर किसान अपनी बचत व श्रम का बेहतर तरीके से उपयोग का सकता है। हम बात करेंगे चारा काटने वाली मशीन की। हर किसान पशुपालन करता है। पशुओं की देखरेख में उसका बहुत सा समय जाया होता है। अगर ऐसे तरीके अपनाकर वह कार्य करे तो उसके धन व समय की बचत होगी। आज हम इस वीडियो में हरा चारा काटने वाली मशीन के प्रयोग की बात करेंगे।  एक मोटर से दो मशीन कैसे चलाएं  जैसा की वीडियो में दिखाया गया है, सबसे पहले आप बाजार से 5 X 3 फ़ीट के दो पत्थर लेकर आएं। फिर चारा काटने वाली मशीन के पैरों के नाप से उस पर चार छेद करके नट व बोल्ट की सहायता से मशीन को अच्छे से उस पत्थर पर फिक्स कर लें। फिर बची हुयी जगह पर मोटर को ए

शेखवाटी में शादी कैसे होती है ?

शेखावाटी, शादी और डांस।
भारत के विभिन्न प्रान्तों में विवाह की अलग अलग रश्मे है। हर प्रान्त में विवाह के लिए कुछ रश्मों व रीति -रिवाजों को अपनाया गया है। हर जगह के रीति रिवाज अपने आप में खास है। भारत में विवाह एक खास अवसर है। आज हम यहाँ शेखावाटी में विवाह की कुछ रश्मों के बारे में जानते है।

1 . सगाई
शेखावाटी में विवाह से पहले लड़का और लड़की के परिवार आपस में मिलकर सगाई की रस्म पूरी करते हैं , जो लगभग पूरे भारत में एक समान ही है।  यानि हर प्रान्त में सगाई की रस्म होती है।  लेकिन शेखावाटी में ये परिवार के ही सदस्य आपस में एक दूसरे को बताते हैं , की फलां गांव में लड़की है, या लड़का है।  फिर लड़के या लड़की के घर वाले अपने कुछ निकट सम्बन्धियों को लेकर उस गांव में जाते है।  पहले लड़की वाले लड़के के घर जाते थे।  आजकल लिंगानुपात में गिरावट होने की वजह से लड़के वाले लड़की के घर जाते है। लड़की को देखने से पहले ही उसके बारे में पड़ताल कर ली जाती है।  उसके घर जाने का मकसद ये होता है की लड़की वाले राजी हो जाएँ और हमारे लड़के को देखने आ जाएँ। फिर लड़की वाले लड़के के घर वालों व लड़के के बारे में जाँच पड़ताल कर के उसके घर जाते है।  अगर लड़का व उसका परिवार ठीक ठाक है व लड़की वालों की कसौटी पर खरा उतरता है, तो ही ये परम्परा निभायी जाती है, वरना बिचोलिये के माध्यम से कहलवा दिया जाता है की, अभी लड़की पढ़ रही है।  जब लड़का व उसके परिवार वाले लड़की वालों की कसौटी पर पूरा बैठेते है तो, लड़की वाले लड़के वाले के घर जाकर लड़के से पूछताछ करते है। अगर उन्हें थोड़ा बहूत भी शक होता है तो घर की महिलाओं से पूछ ताछ की जाती है।  अगर विरोधाभाष मिलता है तो उस वक्त तो वे ये अहसास नहीं कराते की हमारे सम्बन्ध जचां नहीं।  ये काम घर आने के बाद बिचोलिये के माध्यम से करवा दिया जाता है। अगर लड़का फिट है तो एक तारीख तय की जाती है, उस तारीख पर लड़के के परिवार व नजदीक के पुरुष रिस्तेदारों को लड़की वाले अपने यंहां आमन्त्रित करते है, व सब को खाना खिलाकर, तिलक वगैरह करके बाकायदा झुंवारी (नकद राशि ) कम्बल , महिलाओं के कपडे देकर विदा कर दिया जाता है। फिर 2 -3 महीने या कई बार ज्यादा समय निकाल कर लड़का या लड़की वाले परिवार की तरफ से पहल कर विवाह की तारीख तय कर ली जाती है। इस दौरान किसी भी परिवार की तरफ से अगर कोई ऊंच नीच बात सुनने में आती है तो सगाई टूट जाती है।
इस प्रकार सगाई की रस्म पूरी होती है।
2 . ब्याह मांडना (विवाह तय करना)
सगाई के बाद विवाह तय किया जाता है, जिसमें गुप् चुप तरीके से ये पता लगाया जाता है की लड़की वाले दहेज में क्या क्या दे सकते है? अगर लड़के वालों को लगता है की कम है, तो लड़की वालों पर रिस्तेदारों के द्वारा दबाव बनाया जाता है।  अगर इस में कामयाबी नहीं मिलती तो रूठने मनाने की प्रकिर्या की जाती है। कभी कभी इसकी वजह से सगाई भी टूट जाती है। फिर भी जब कामयाबी मिल जाती है, या नाकाम होने पर भी विवाह तय हो जाता है तो ये आगे चलकर दुखदायी हो जाता है। खैर दोनों परिवार के प्रमुख लोग मिल कर एक तारीख तय करते है और उस दिन विवाह की तैयारी करने लगते है।
3 . विवाह कार्ड 
विवाह की तारीख तय होते ही विवाह कार्ड छपवा लिए जाते है।  और अपने अपने रिस्तेदारों की लिस्ट बना ली जाती है, जिन्हें शादी में आमन्त्रित करना है। फिर उनको कार्ड वितरित किये जाते है।  ये काम जिस दिन बान बैठाया जाता है, उस दिन से पहले कार्ड को गणेश जी के नाम से भेजकर बाकि कार्डों को लिस्ट के अनुसार वितरित किया जाता है। इसे कुकुपत्री कहते है।
4 . बान बैठना    
विवाह के कुछ दिन पहले लड़के व लड़की वाले अपने यंहां पंडित से पूछ कर बान बैठने की रस्म का इंतजाम करते है।  पंडित के द्वारा शुभ मुहूर्त देखकर 4-5 दिन पहले का समय दिया जाता है। उस दिन पंडित लड़के वाले के घर आकर विधि विधान से पूजा करके मन्त्रोचारों के साथ बान बैठने की रस्म पूरी करवाता है।  उधर लड़की के गांव में उनका पंडित भी ऐसी ही रस्म करवाता है। इसको अलग अलग प्रान्तों में अलग अलग तरह से पूरा किया जाता है। कहीं पर जनेऊ धारण करवाई जाती है। कहीं पर लगन बोला जाता है।  लेकिन शेखावाटी में प्रायः यहीं किया जाता है। बान बैठने के बाद लड़का व लड़की अपने गांव की सीमा से बहार (निकासी से पहले) नहीं जा सकते, लेकिन आज कल ये परम्परा कहीं पीछे छूट गयी है। अब 4-5 दिन लड़का अपने परिवार के अलग अलग घरों में घूमकर खाना खाता है। उसके साथ बिनाकिया एक छोटा लड़का होता है। जो बान बैठने के दिन से उसके साथ रहता है, गणेश जी के प्रतीक के रूप में।
5 . मेल 
इस दिन लड़के वाले अपने गांव व बिरादरी के लोगों के लिए सामूहिक रूप से भोज का आयोजन करते है।  जिसे प्रीतिभोज कहते हैं। नाना प्रकार के पकवान बनाकर अपने गांव व बिरादरी के लोगों की खूब आव भगत की जाती है।  कुछ समुदायों में तो 8000-10000 लोगों तक का खाना बनता है। आम तोर पर 3000 लोग ऐसे आयोजन में शामिल होतें है। इस परम्परा पर शेखावाटी में बहूत धन खर्च किया जाता है। धीरे धीरे ये एक अनावश्यक परम्परा बनती जा रही है।
प्रीतिभोज
6 . डान्स    
प्रीतिभोज वाले दिन लड़के वाले के यहाँ गांव व बिरादरी के लोगों द्वारा नाच कर ख़ुशी जाहिर की जाती है। ये काम दिन में महिलाओं के द्वारा चाक पूजने की परम्परा के साथ किया जाता है। जिसमें महिलाओ के द्वारा DJ sound पर भयंकर डांस करके ख़ुशी जाहिर की जाती है।  

शाम के समय परिवार, रिस्तेदारों  व लड़के के दोस्तों के द्वारा DJ sound पर डांस किया जाता है।
7. निकासी
दूसरे दिन लड़के को दूल्हे के रूप में सजा कर परिवार, रिस्तेदार, समाज के लोग व लड़के के खास दोस्त बारात के रूप में लड़की के गांव के लिए रवाना होते है जिसे निकासी कहते है। इसमे शेखावाटी में गाड़ियों का काफिला जितना बड़ा होता है उतनी ही बारात अच्छी मानी जाती है।
इस दौरान घर, गांव  व शादी में शामिल होने आई महिलाओं के द्वारा गीत गाकर बारात को रवाना किया जाता है।  घर से रवाना होकर दूल्हा गांव के मंदिर में जाकर आशीर्वाद लेता है।
उसके बाद लड़की के गांव के लिए बारात रवाना हो जाती है।




8. बारात आगमन  
जब लड़के वाले बारात लेकर लड़की के गांव पहुँचते है, तो नाई भेजकर लड़की के घर सुचना दी जाती है।  उसके बाद बारातियों को अल्पाहार करवाया जाता है।

इस प्रकार लड़का बारात लेकर लड़की के घर पहुँच जाता है। अब आगे की रश्मों, रिवाज व परम्परा के लिए अगले अंक का इंतजार करें।
मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं कि शेखावाटी की शादी कैसी लगी ?
धन्यवाद !


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