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किसानों के लिए एक मोटर में दो मशीन चलाने का जुगाड़

किसान बचत कैसे करें  भारत में किसान के लिए बचत ही उसका मुनाफा है। क्योंकि बाजार उसके अनुकूल नहीं है। जो भी किसान फसल उगाता है, वो पशुपालन भी करता है। इस प्रकार किसान पशुपालन के द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित करता है। ये अतिरिक्त आय ही उसकी बचत होती है। किसान अपने छोटे छोटे खोजी तरीकों से बचत के तरिके ढूंढता रहता है। आज हम यहाँ ऐसे ही एक तरीके की बात कर रहे है। जी हाँ किसान की बचत का एक तरीका जिसे अपनाकर किसान अपनी बचत व श्रम का बेहतर तरीके से उपयोग का सकता है। हम बात करेंगे चारा काटने वाली मशीन की। हर किसान पशुपालन करता है। पशुओं की देखरेख में उसका बहुत सा समय जाया होता है। अगर ऐसे तरीके अपनाकर वह कार्य करे तो उसके धन व समय की बचत होगी। आज हम इस वीडियो में हरा चारा काटने वाली मशीन के प्रयोग की बात करेंगे।  एक मोटर से दो मशीन कैसे चलाएं  जैसा की वीडियो में दिखाया गया है, सबसे पहले आप बाजार से 5 X 3 फ़ीट के दो पत्थर लेकर आएं। फिर चारा काटने वाली मशीन के पैरों के नाप से उस पर चार छेद करके नट व बोल्ट की सहायता से मशीन को अच्छे से उस पत्थर पर फिक्स कर लें। फिर बची हुयी जगह पर मोटर को ए

मेरा गांव


 मेरा गांव
गांव भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। आज भी लोगों का जीवन स्तर उस हद तक नहीं पहुंचा जहाँ हम कह सके कि, हाँ अब ठीक है। लोगों के पास रोजगार के साधन नहीं हैं। परंपरागत रोजगार ख़त्म होते जा रहे है। ये तो यहाँ के लोगो की जिजीविषा है , जीवन के प्रति कि वो अपनी इस अमूल्य संस्कृति को बचाकर यहाँ तक ले आये। दूसरा गांव के लोगों का सामंजस्य है कि, एक दूसरे की मदद को हमेसा तत्पर रहते हैं।

 मेरा गांव बिड़ोदी छोटी है। आज मैं आपको मेरे गांव के बारे में बताता हूँ। मेरा गांव सीकर जिले में स्थित है।  यह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में आता है। यहाँ पहुँचाने के लिए मेरा गांव सड़क एवं रेल मार्ग से जुड़ा हुवा है। रेल मार्ग से अभी लोहारू सीकर के मध्य चलने वाली रेल की सेवा हमारे गांव के नजदीक स्थित रेल्वे स्टेशन नवलगढ़ से मिलती है। अभी सीकर जयपुर के मध्य आमान परिवर्तन का कार्य प्रगति पर है। इसलिए ये (जयपुर से ) रेल मार्ग  कटा हुआ है। सड़क मार्ग से यह जयपुर पिलानी   स्टेट हाइवे से जुड़ा है।  गांव के लोग आज भी परंपरागत कृषि कार्यों पर आश्रित हैं। गर्मी के समय जब बारिश होती है जुलाई के महीने में तो लोग अपने खेतो की बुवाई करते है। अक्सर बाजरा, मूंग, गूँवार, मोठ की बुवाई की जाती है।  सर्दी के समय सरसों, चना,गेहूं, जौ, मूंगफली आदि की बुवाई की जाती है। लोगों की आर्थिक अर्थव्यवस्था इन्ही दो फसलो के इर्द गिर्द घूमती है। अगर ये फसल चक्र न हो तो अर्थ व्यवस्था में शामिल पशु धन बर्बाद हो सकता है।  अब चिंता इस बात कि है, कि अगर भूमिगत जल जो इस समय खतरनाक ढंग से इस स्तर पर पहूँच गया है कि, कभी भी सर्जिकल स्ट्राइक हो सकती है। इसलिए आज आवश्यकता है, कि पानी के परम्परागत स्रोतों की और ध्यान दिया जाए।


आप लोगों से अनूरोध है कि, आपके पास कोई ऐसा आईडिया हो जो निकट भविष्य में इस प्रकार की समस्या से गांव के लोगों को उबार सके तो प्लीज़ मेरे मेल आईडी पर शेयर करें।  मेरा मेल आईडी rajasikar11@gmail.com है

धन्यवाद।
राजेश कुमार
9680615806
                                                                                

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